Sunday, October 8, 2017

आज आँखों में कुछ नमी सी है....

आज आँखों में कुछ नमी सी है,
सब कुछ है मेरे पास,
फिर भी कुछ कमी सी है...
आज आँखों में कुछ नमी सी है....

भोर हुई जब आँखें खुली,
याद आई बातें जो सपने में थीं,
पर हकीक़त याद आते ही दिल में एक बेचैनी सी है,
आज आँखों में कुछ नमी सी है......

पक्षी दिखे चहचहाते हुए, गाते हुए,
अपनी अपनी मंजिल को जाते हुए,
पर हमारी मंजिल तो कुछ धुंधली सी है,
पता नहीं सिर्फ अक्स है या असली भी है,
आज आँखों में कुछ नमी सी है......

अधूरेपन में यूं ही दोपहर बीती, शाम आई,
एक और अंधियारी रात का पैगाम लाई,
पर आज दिल में एक तसल्ली सी है,
सपने में ही सही,
कम से कम कहीं तो एक दुनिया अपनी सी है...
आज आँखों में कुछ नमी सी है,
सब कुछ है मेरे पास,
फिर भी कुछ कमी सी है..
आज आँखों में कुछ नमी सी है....



(08/07/2004)
© Dr. Vibhor Garg. All rights reserved.

No comments:

Post a Comment